थ्री-डी प्रिंट अब भी अनूठा माना जाता है। मैंने बीते दिनों नज़दीक से इसे देखा और अनुभव किया।
मैं जब 'अमेरिकन फ़ीजिकल सोसाइटी' के 'इंडस्ट्री डे' में गया तो मैंने अपना थ्री-डी प्रिंट लिया। टेक्सस के सैन एंटोनियो में होने वाले इस सम्मलेन में मुझे एक घूमते हुए प्लेटफ़ार्म पर चढ़ने को कहा गया।
एक कैमरा अगले कुछ मिनटों तक ऊपर से नीचे तक मुझे स्कैन करता रहा।
कैसे होता है थ्री-डी प्रिंट?
वहां लगे कंप्यूटर सिस्टम से मुझे कई तरह के निर्देश भी दिए गए। संभावित फोटो प्रिंट होने के बाद कैसा लगेगा, मुझे इसका प्रीव्यू भी दिखाया गया।
'ट्विनडम' नाम की कंपनी ने यह पूरी व्यवस्था की थी। इस थ्री-डी प्रिंट सिस्टम के ज़रिए लोग अपना 'जुड़वा' प्रिंट कर सकते हैं।
इसके बाद उस थ्री-डी फोटो को कंपनी के कैलीफ़ोर्निया के एमरीविल स्थित मुख्यालय के सिस्टम में अपलोड कर दिया। अगले हफ़्ते मुझे उसका थ्री-डी प्रिंट मिल गया।
यह सेल्फ़ी नहीं था, क्योंकि मैंने ख़ुद फोटो नहीं खींची थी। फोटो खींचने का काम तो कंप्यूटर ने किया था।
कंपनी से जुड़े एक अधिकारी ने यह माना कि यह तकनीक अब भी विकसित होने की प्रक्रिया से गुजर ही रही है। इसलिए सौ फ़ीसदी सही नहीं है। उन्होने कहा कि त्वचा का रंग पूरी तरह प्राकृतिक नहीं दिखेगा। हालांकि जब आप छोटा प्रिंट लेते हैं तो कमियाँ नज़र नहीं आतीं।
मैं जब 'अमेरिकन फ़ीजिकल सोसाइटी' के 'इंडस्ट्री डे' में गया तो मैंने अपना थ्री-डी प्रिंट लिया। टेक्सस के सैन एंटोनियो में होने वाले इस सम्मलेन में मुझे एक घूमते हुए प्लेटफ़ार्म पर चढ़ने को कहा गया।
एक कैमरा अगले कुछ मिनटों तक ऊपर से नीचे तक मुझे स्कैन करता रहा।
कैसे होता है थ्री-डी प्रिंट?
वहां लगे कंप्यूटर सिस्टम से मुझे कई तरह के निर्देश भी दिए गए। संभावित फोटो प्रिंट होने के बाद कैसा लगेगा, मुझे इसका प्रीव्यू भी दिखाया गया।
'ट्विनडम' नाम की कंपनी ने यह पूरी व्यवस्था की थी। इस थ्री-डी प्रिंट सिस्टम के ज़रिए लोग अपना 'जुड़वा' प्रिंट कर सकते हैं।
इसके बाद उस थ्री-डी फोटो को कंपनी के कैलीफ़ोर्निया के एमरीविल स्थित मुख्यालय के सिस्टम में अपलोड कर दिया। अगले हफ़्ते मुझे उसका थ्री-डी प्रिंट मिल गया।
यह सेल्फ़ी नहीं था, क्योंकि मैंने ख़ुद फोटो नहीं खींची थी। फोटो खींचने का काम तो कंप्यूटर ने किया था।
कंपनी से जुड़े एक अधिकारी ने यह माना कि यह तकनीक अब भी विकसित होने की प्रक्रिया से गुजर ही रही है। इसलिए सौ फ़ीसदी सही नहीं है। उन्होने कहा कि त्वचा का रंग पूरी तरह प्राकृतिक नहीं दिखेगा। हालांकि जब आप छोटा प्रिंट लेते हैं तो कमियाँ नज़र नहीं आतीं।
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