1. यह बेहद कम लोग ही जानते हैं कि सचिन तेंदुलकर अपने पिता रमेश तेंदुलकर की दूसरी पत्नी के पुत्र है। रमेश तेंदुलकर की पहली पत्नी से तीन संताने हुई, अजीत, नितिन और सविता तीनों सचिन से बड़े है।
2. किशोरावस्था में कोचिंग के दौरान सचिन उनके कोच स्टम्प पर एक रुपये का सिक्का रख देते थे और जो गेंदबाज सचिन को आउट करता, वह सिक्का उसी को मिलता था, लेकिन यदि सचिन पूरे दिन आउट नहीं होते तो तो सिक्का उनका हो जाता था। सचिन के अनुसार उस समय उनके द्वारा जीते गये वे 13 सिक्के आज भी उनके पास है।
3. 1988 में स्कूल के मैच के दौरान विनोद कांबली के साथ सचिन ने ऐतिहासिक 664 रनों की नाबाद साझेदारी की थी। इस धमाकेदार जोड़ी के शानदार प्रदर्शन के कारण एक गेंदबाज तो रोने ही लगा था और विरोधी पक्ष ने मैच आगे खेलने से इनकार कर दिया था।
4. सचिन के बड़े भाई अजीत ही उनको क्रिकेट में लेकर आए। एक दिन अजीत युवा सचिन को लेकर उस वक्त के चर्चित क्रिकेट कोच रमाकांत आचरेकर के पास लेकर शिवाजी पार्क गए। पहले टेस्ट में सचिन अपनी बल्लेबाजी से रमाकांत को इम्प्रेस नहीं कर पाए। तब अजीत की विनती पर सचिन को एक और मौका दिया गया। जिसमें सचिन मैदान के साथ-साथ कोच रमाकांत के दिल पर भी छा गए।
5. क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर दुनिया के 16वें और पहले भारतीय क्रिकेटर है जिन्होंने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट डॉमेस्टिक और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 50 हजार रन का आंकड़ा पार किया है।
6. वनडे क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद सचिन ने कहा था कि "देश का प्रतिनिधित्व करना और पूरी दुनिया में खेलना मेरे लिये एक बड़ा सम्मान था। मुझे घरेलू जमीन पर 200 वाँ टेस्ट खेलने का इन्तजार है। जिसके बाद मैं संन्यास ले लूँगा।" उन्होंने अंतिम टेस्ट 16 नवंबर 2013 को वेस्टइंडीज के खिलाफ मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेला था।
7. सचिन जब भी बल्लेबाजी के लिये उतरे, मैदान पर कदम रखने से पहले वह सदैव सूर्य देवता को नमन करते। क्रिकेट के प्रति उनका लगाव एक घटना से लगाया जा सकता है। वर्ल्ड कप 2003 के दौरान जब उनके पिताजी का निधन हुआ तो वह पिता की अन्त्येष्टि में शामिल हुए और वापस मैच खेलने लौट गये। अगले मैच में सचिन ने शतक ठोककर अपने दिवंगत पिता को श्रद्धांजलि दी।
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